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जिस वाक्य में केवल एक ही
उद्देश्य (कर्ता) और एक ही समापिका क्रिया हो, वह साधारण
वाक्य कहलाता है।
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जब एक साधारण वाक्य दूसरे
साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता है।
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जब साधारण अथवा मिश्र
वाक्यों का परस्पर भेद या विरोध का संबंध रहता है।
जैसे-
वह मेहनत तो बहुत करता है पर फल नहीं मिलता।
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जब दो बातों में से किसी
एक को स्वीकार करना होता है।
जैसे-
या तो उसे मैं अखाड़े में पछाड़ूँगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूँगा।
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जब एक साधारण वाक्य दसूरे
साधारण या मिश्रित वाक्य का परिणाम होता है।
जैसे-
आज मुझे बहुत काम है इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकूँगा।
® आश्रित
वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(1) संज्ञा उपवाक्य।
जैसे-
जब वह मेरे पास आया तब मैं सो रहा था। यहाँ पर जब वह मेरे पास आया यह क्रिया-विशेषण
उपवाक्य है।
(1)
साधारण वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में परिवर्तन-
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(2)
संयुक्त वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन-
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(3)
साधारण वाक्यों का मिश्रित वाक्यों में परिवर्तन-
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(4)
मिश्रित वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन-
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1. हमारा राष्ट्र
समृद्धशाली है।
2. हमें नियमित रूप से
विद्यालय आना चाहिए।
3. अशोक, सोहन का बड़ा पुत्र, पुस्तकालय में अच्छी पुस्तकें
छाँट रहा है।
1. जो व्यक्ति जैसा होता
है वह दूसरों को भी वैसा ही समझता है।
2. जब-जब धर्म की क्षति
होती है तब-तब ईश्वर का अवतार होता है।
3. मालूम होता है कि आज
वर्षा होगी।
4. जो संतोषी होत हैं वे
सदैव सुखी रहते हैं।
5. दार्शनिक कहते हैं कि
जीवन पानी का बुलबुला है।
1. तेज वर्षा हो रही थी
इसलिए परसों मैं तुम्हारे घर नहीं आ सका।
2. मैं तुम्हारी राह
देखता रहा पर तुम नहीं आए।
3. अपनी प्रगति करो और
दूसरों का हित भी करो तथा स्वार्थ में न हिचको।
1. विधानार्थक वाक्य। 2. निषेधार्थक
वाक्य। 3. आज्ञार्थक वाक्य।
4.
प्रश्नार्थक वाक्य-
जिस वाक्य में प्रश्न किया जाए। जैसे- वह कौन हैं उसका नाम क्या है।
5.
इच्छार्थक वाक्य- जिस वाक्य से
इच्छा या आशा के भाव का बोध हो। जैसे- दीर्घायु हो। धनवान हो।
7.
संकेतार्थक वाक्य-
जिस वाक्य से संकेत का बोध हो। जैसे- यदि तुम कन्याकुमारी चलो तो मैं भी
चलूँ।
8.
विस्मयबोधक वाक्य- जिस
वाक्य से विस्मय के भाव प्रकट हों। जैसे- अहा ! कैसा सुहावना मौसम है।


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