अध्याय-3 (शब्द-विचार)
®
एक या अधिक वर्णों से बनी
हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है।
जैसे-
कल,
पर। इनमें क, ल, प,
र का टुकड़े करने पर कुछ अर्थ नहीं हैं। अतः ये निरर्थक हैं।
®
जो शब्द कई सार्थक शब्दों
के मेल से बने हों, वे यौगिक कहलाते
हैं।
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उत्पत्ति के आधार पर शब्द
के निम्नलिखित चार भेद हैं-
® जो
शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं वे तत्सम
कहलाते हैं।
जैसे- अग्नि,
क्षेत्र, वायु, रात्रि,
सूर्य आदि।
® जो
शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं।
जैसे- आग (अग्नि),
खेत(क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य) आदि।
जैसे- पगड़ी,
गाड़ी, थैला, पेट,
खटखटाना आदि।
जैसे- स्कूल,
अनार, आम, कैंची,अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि।
ऐसे
कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है।
®
अरबी-
औलाद,
अमीर, कत्ल, कलम,
कानून, खत, फकीर,
रिश्वत, औरत, कैदी,
मालिक, गरीब आदि।
®
तुर्की-
कैंची,
चाकू, तोप, बारूद,
लाश, दारोगा, बहादुर
आदि।
®
पुर्तगाली-
अचार,
आलपीन, कारतूस, गमला,
चाबी, तिजोरी, तौलिया,
फीता, साबुन, तंबाकू,
कॉफी, कमीज आदि।
®
फ्रांसीसी-
पुलिस,
कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू,
बिगुल आदि।
®
चीनी-
तूफान,
लीची, चाय, पटाखा आदि।
®
जिन शब्दों का
रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं।
®
जिन शब्दों के रूप में कभी
कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं।
® अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद हैं-
® जिन
शब्दों का कुछ-न-कुछ अर्थ हो वे शब्द सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे-
रोटी,
पानी, ममता, डंडा आदि।
®
जिन शब्दों का कोई अर्थ
नहीं होता है वे शब्द निरर्थक शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
रोटी-वोटी, पानी-वानी, डंडा-वंडा
इनमें वोटी, वानी, वंडा आदि निरर्थक शब्द
हैं।
विशेष-
निरर्थक शब्दों पर व्याकरण में कोई विचार नहीं किया जाता है।
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